१- ईला न दैणी आपणी, रण खैता भिड़ जायै ! पूत सिखावै पालणै,मरण बड़ाई माय!! अर्थात् राजपूत माता अपनै पुत्र कौ पालनै ही मे मरने की शिक्षा दैती हुई कहती है कि तू रणक्षैत्र मै शत्रु...
१- ईला न दैणी आपणी, रण खैता भिड़ जायै ! पूत सिखावै पालणै,मरण बड़ाई माय!! अर्थात् राजपूत माता अपनै पुत्र कौ पालनै ही मे मरने की शिक्षा दैती हुई कहती है कि तू रणक्षैत्र मै शत्रु...
राजपूत एक ता कब तलक सोये रहोगे, सोने से क्या हासिल हुआ, व्यर्थ अपने वक्त को खोने से क्या हासिल हुआ, शान और शौकत हमारी जो कमाई ''वीरों'' ने वो जा रही, अब सिर्फ बैठे रहने से क्या हासि...
राजपूत ना दौलत पे नाज़ करते है , ना शोहरत पे नाज़ करते है , किया है भगवान ने "राजपूतो" के घर पैदा , इसलिए अपनी किस्मत पे नाज़ करते है..!!! राजपूत की तलवार जब तक माथे पर लाल रंग नहीं लगत...
आखिर कब तक हम अपने पूर्वजों द्वारा, रोपित फसल ही खाते रहेंगे, आखिर कब तक हम उनके अच्छे कार्यों की, बस जय जय कार लगते रहेंगे, महाराणा ,पृथ्वी,कुंवर सिंह, और बहुत से बड़े हैं नाम, … ...
कुत्तो की हिम्मत कैसे हुई, शेरोसे आँख मिला बैठे या तो कुत्तो में ताकत आई, याशेर बुजदिल बन बैठे गीदड़ ने आखिर कैसे, शेरो कारस्ता मोड़ दिया क्या गीदड़ में है दम या शेरो नेशिकार...