क्षत्रिय धर्म को भूल,राजपूत हम बन गये !
छोङे सारे क्षत्रिय सँस्कार, अँहकार मे तन गये !
क्षत्रिय धर्म मे पले हुए हम शिर कटने पर भी लङते थे !
दिख जाता अगर पापी ओर अन्याय कहिँ शेरो कि भाँती टूट पङते थे !
शेरो सी शान,हिमालय सी ईज्जत,और गौरवशाली इतिहास का पूरखो ने हमे अभयदान दिया !
जनता के सेवक थे हम लोगो ने भी हमे सम्मान दिया !
छूट गई शान, टुट गयी इज्जत पी दारु छोङे सँस्कार !
ईतिहास का हमने अपमान किया भूल गई क्या दूनिया सम्मान की खातिर लाखो क्षत्राणियो ने अग्नी श्नान किया !!
तो फिर दासी को जोधा बता राजपूत का क्यो अपमान किया !
दया हम दिखाते है जब ही तो चौहान ने गोरी को 18 बार छोङ दिया !!
पर रजपूती रँग मे रँग जाये राजपूत तो देखो बिन आँखो के चौहान ने गोरी का शिर फोङ दिया !
अकेले महाराणा ने दिल्ली कि सल्तनत को हिला दिया !
वीर दुर्गादास ने मुगल के सपनो को मिट्टी मे मिला दिया !!
अरे हम एक नही रहै तो दुनिया ने हमे भूला दिया !
भूल गई क्या दुनिया- हम उनके वँशज है जिन्होने रावण,कँस जैसो को मिट्टी मे मिला दिया ॥
– जितेन्द्र सिंह राठोड
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