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Showing posts from May, 2016

आग धधकती है सीने मे,

आग धधकती है सीने मे, आँखों से अंगारे, हम भी वंशज है राणा के, कैसे रण हारे...? कैसे कर विश्राम रुके हम...? जब इतने कंटक हो, राजपूत विश्राम करे क्योँ, जब देश पर संकट हो. अपनी खड्ग उठा लेते ...

शायरी

ये तो राजपूतो की तलवारो का कारनामा है दोस्तों... वरना हिंदुस्तान तो कभी का मुगलस्तान हो चूका होता।

क्षत्रिय धर्म को भूल,राजपूत हम बन गये..........

क्षत्रिय धर्म को भूल,राजपूत हम बन गये ! छोङे सारे क्षत्रिय सँस्कार, अँहकार मे तन गये ! क्षत्रिय धर्म मे पले हुए हम शिर कटने पर भी लङते थे ! दिख जाता अगर पापी ओर अन्याय कहिँ शेरो क...