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क्षत्रिय पथ बिना रजपूती ना बणे रे भाईयों

क्षत्रिय ! ! मित्रों !
क्षत्रिय पथ बिना रजपूती ना बणे रे भाईयों , लाख करो विचार ।
पथ छोङिया मँजिल ना मिले रे भाईयों , जतन करो हजार ।
मर्यादा रखी राजा राम ने रे भाईयों ,दुनिया पुजे बारम्बार ।
मर्यादा तोङी रावण ने रे भाईयों ,
बच ना पायो जतन कर हजार ।
महाराणा धर्म राखियोँ रे भाईयों ,
दियो अकबर ने झुकाय।
औरँगजेब भी आ झुकयो रे भाईयों ,
दुर्गादास जी दियो झुकाय।
क्षत्राणिया सती कहलावती रे भाईयों ,
चलती खाँडा री धार ।
अकेलो क्षत्रि भिङ जावतो रे भाईयों ,
सामने आजावे चाहे हजार।
धर्म छत्री ने भुलगा रे भाईयों ,
चलगा दुनिया रे लारो लार।
क्षत्रिय धर्म बिना रजपुती ना बणे रे भाईयों ,
लाख करो विचार ।
जय क्षात्र धर्म । जय क्षत्रिय

लेखनी -हरिनारायण सिँह राठौङ

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