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जाग उठा है क्षत्रिय फिर से

आज हिमालय की चोटी से,
ध्वज कैशरीयां लहराएगा,
जाग उठा है क्षत्रिय फिर से,
भारत स्वर्ग बना एगा ।।
इस झंडेकी महिमा देखो, रंगत अजब निराली है,
इस पर तो ईश्वर ने डाली, सूर्योदय की लाली है,
प्रखर अग्नि में इसकी पड़, शत्रु स्वाहा हो जाएगा,
जाग उठा है क्षत्रिय फिर से,
भारत स्वर्ग बनायेगा।।
इस झंडे को चन्द्रगुप्त ने, हिन्दू-कुश पर लहराया,
मरहटों ने मुग़ल-तख़्त को चूर-चूर कर दिखलाया,
मिट्टी में मिल जाएगा जो इसको अकड़ दिखाएगा,
जाग उठा है क्षत्रिय फिर से, भारत स्वर्ग बनायेगा॥
इस झंडे की खातिर देखो, प्राण दिए थे वीरों ने,
लहू पिया था दुश्मन का, उनकी तलवारों ने,
बच्चा-बच्चा वीर बनेगा, अपना रक्त बहाएगा,
जाग उठा है क्षत्रिय फिर से,
भारत स्वर्ग बनायेगा॥
जय राजपुताना संघ !
लखधीरसिंह गोहिल
मोरचंद !

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