जय क्षत्रिय||
पापो का भार ।
क्षत्रियो ने उठाई है तलवार।
रावण का जब बढ गया
था अँहकार।
तो राम ने लिया था
क्षत्रिय कुल मेँ अवतार।
जब बहूत मारा था लोगो
को पापी कँस ने।
तो लिया था अवतार
कृष्ण ने भी क्षत्रिय वँश मेँ॥
परमात्मा ने हमेँ भी क्षत्रिय
कुल मेँ जन्म दिया हैँ।
पर हमने तो क्षत्रिय सँस्कारो
को ही खत्म कर दिया है॥
क्षत्रिय महान क्षात्र धर्म से बनते थेँ।
पर वो हमारे जैसे आपस
मेँ नहीँ तनते थे॥
हमने तो दिया है उस क्षात्र
धर्म को ही अब छोङ।
कुल मर्यादा और कर्त्तव्य
से ही लिया अपना मुख मोङ॥
अब तो हमेँ क्षात्र धर्म की
राह पे चलना होगा।
बहूत डगमगा गये कदम
देश और समाज के युवाओँ अब तो
हमे सम्हलना होगा॥
अगर अब भी नहीँ सम्हलेँ
तो साथियोँ हमारा ईतिहास
बदल जायेगा
अगर जग गया क्षत्रिय तो
जमाना और ये देश बदल जायेगा॥
जय क्षत्रिय ॥
जय जय क्षात्र धर्म ॥
जय भवानी ।।
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