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रंग रामा रंग लिछमण.....

रंग रामा रंग लिछमणा, दसरथ रा कवंराह !
भुज रावण रा भांजिया, आलीजा भँवरा !१!

रंग रामा रंग लिछमणा, दसरथ रा पूतांह  !
लंक लुटाई सोहणी, रंग बां रजपूतांह !२!

कर्ण खयंकर लंक रा, जीत भयंकर जंग !
रघुवर किंकर आपने, रंग हो हणुवनत रंग !३!

सज टोला सबळ, नाग बहोला नीह !
अमलां बेली आपने, भोला रंग भुतीह !४!

धमके पांवा घुघरा, पलकै तेल शरीर !
अमलां बेलां आपने, रंग हो भैरव वीर !५!

तो सरणे ब्रन खटतणी ,लोवाड़ वाली लाज !
आवड करणी आपने ,रंग अधका महराज !६!,

पापी कंस पछाडियो , तिकण कियो जग तंग !
अवनि भार उतरता ,रंग हो गोविन्द रंग !७!

विजय विजय तोसूं बणी,जुड़तां भारत जंग !
बाढ़ खलां बरंग ,रंग हो गोविन्द रंग  !८!

करियो अकर्त कैरवां,चीर बढायो चंग  !
सरम राखी द्रुपद सुता ,रंग हो गोविन्द रंग !९!

करयो नहं उण दिन किसन, भीसम रो प्रण भंग !
तजि प्रतिज्ञा आप तणी, रंग हो गोविन्द रंग !१०!

रंग अणिरा भादरा ,टणका आगल टंग !
खागां सामा सिर पड़े , राजपूतां ने रंग !११!

साहस कर जुटे समर ,तुरी चचटे तंग !
टुट्टे सिर गढ़ नह टुट्टे ,बां राजपूतां ने रंग !१२!

फूटे गोला फिन्फारा , टूटे तुरीयं तंग !
संग लडियो सुल्तान रे , उन रुपवत ने रंग !१३!

रुपावत खेत सिंह राठौर निमाज ठाकुर सुल्तान के साथ जोधपुर की सेना से लड़ कर मारा गया था .(यह वाकिया बहुत ही रोम्चक ही नही बल्कि राजपूत चरित्र की  बेजोड़ मिसाल है. इस गरीब राजपूत ने निमाज हवेली में रात बिताई थी उन के  रसोवाड़े में खाना खाया था ,नमक का हक अदा करने के लिए उस ने जान दे दी ।

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