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सांगा के अस्सी घाव वहाँ.....बाबर की होती हार जहाँ।

चितौड धधकता अंगारा।
दुश्मन भी हमेशा है हारा।
चूण्डा का त्याग रहा न्यारा।
जौहर ज्वाला जग उजियारा।।....
मेवाडी धरती शूरों की।
यह सन्तो और महावीरों की।।
यह राणा पूंजा तीरों की।
राणा प्रताप से वीरों की।।...
जौहर की ज्वाला जलती है।
वहाँ सुन्दर कलिया खिलती है।।
सतीत्व बचानें के कारण।
जौहर में जिन्दा जलती है।।...
भील जाति का मान यहाँ।
जो राजतिलक करे राणा का।
है क्षत्रीयोचित सम्मान यहाँ।।...
गौरा बादल और कुम्भा की।
यह वीर बहादुर सांगा की।।
यह उदयसिह महाराणा की।
यह भामाशाह महादानी की।।...
हारित ॠषि की शान यहां।
जहाँ मर्यादा का मान रहा।।
एकलिगनाथ भगवान यहाँ।
बप्पा रावल की आन यहाँ।।...
हठ अमीर और चूण्डा की।
सांगा के अस्सी घाव वहाँ।।
बाबर की होती हार जहाँ।
चित्तौड ने रखा मान वहाँ।।...
क्षत्राणी रानी कर्मवती।
वह बन जाती है वीरमती।।
जौहर की ज्वाला में जलती।
वह पद्मनी सी है महासती।।...
मीरां ने रखी आन यहाँ।
रैदास ने रखी शान यहाँ।।
श्री नाथ धाम और चारभुजा।
श्री रिषभदेव का मान यहाँ।।...
यह परम्परा रजपूतों की।
रण में मरने की ठानी है।।
जौहर ज्वाला में जल मरना।
क्षत्राणी शान पुरानी है।।...
गौरा बादल बलिदान यहाँ।
जयमल पता का मान यहाँ।।
पन्नाधाय का त्याग यहाँ।
बलिदानी का बलिदान यहाँ।।...
राणा कुम्भा का नाम अमर।
दुश्मन थररता देख मगर।।
कुम्भलगढ भी है अमरधाम।
जहाँ सिर झुकते, करते सलाम।।...
वह वीर बहादुर कुम्भा था।
हिमाचल जैसा खम्भा था।।
वह सौ हाथी सा बलशाली।
वह पराक्रमी और महाबली।।...
मालवा बादशाह (महमूद) कैद हुआ।
तो कीर्तीस्तम्भ निर्माण हुआ।।
यह एक अनोखी यादगार।
जो इतिहासों में नाम हुआ।।...
तलवारें लप-लप करती थी।
चिन्गारी खूब चमकती थी।।
दुश्मन छाती में घुसते ही।
वे चीत्कारें भी करती थी।।...
रण में डंका जब बजता है।
हाथों मे खडग खडकता है।।
आँखों में लहँू उतरता है।
दुश्मन भी भागा फिरता है।।...
खाण्डों से योद्धा सजते है।
सेना में डंके बजते है।।
केसरियां बाना सजते है।
सिर कटत्े हैं धड लडते है।।...
वीरों की बजती तलवारें।
उठती रहती है चीत्कारें।।
घोडों की उठती हुंकारे।
हाथी चिघाडते है न्यारे।।...
हाडी सेनानी देती है।
चारू को जीवन देती है।।
यूँ चूण्डा लडने जाता है।
दुश्मन भी मुँह की खाता है।।...
नहीं चाह उसे है जीने की।
बस, कुल की रक्षा ही करने की।।
दोनों कुल की वह शोभा है।
वह जन-मन की आशा है।।...
यह स्वर्ग रही मेवाड धरा।
इतिहासकार भी नमन करै।।
भक्ति शक्ति पावन भूमि।
जहाँ तलवारें चीत्कार करै।।...
"प्रेमी" तेरी पावन भूमि।
तू माटी सिर पे चढा रहा।।
इस माटी हित मरने वाले।
वह अमर शहीद ही सदा रहा।।...

भगवान लाल शर्मा "प्रेमी" उदयपुर (राज.)

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