वीरो का जीना जीते नही
. बकरो की मोत मरोगे क्या...
युध्द पलटा नाली पलटी रौना पलटा हुकारो में........
पानी जो गया पातालो मे अब
बदलेगा तलवारो मे.....
पलटे जीन की रणफेरी उनको अनसुनी करोगे क्या....
जुग जुग से उनकी उठती है चीतोड गढ दीवारो से....
हिन्दु क्या रोते.पृथ्वी रोती. आसु पडते तारो से......
वे केसंरिया बन जुझे थे,तुम पीठ दीखाकर भागोगे क्या...
शक्ती शुर जो पास नही, तो विजय नही जयंकारो मे...
निर्मल की ऩया डगमग करती
शोध कहा पतवारो मे....
बाहुबल सरक्षिंत कर धीरे कदम रखोगे क्या ..
शीरी को शरणागत से बचाने माँस निज काट दे दिया था..
गो रक्षा को तेरा पृर्वज,सर्वसम्प्रित हो गया था..
धर्म राष्ट्र कर्तव्य होने मे ,जग मे जीवोगे क्या ...
अपने हाथो से घर जलाकर ,रस्ते पर लोटोगे क्या..
प्राण गये देह नाश से,तभी बचा पाओगे क्या .
गीदड की धमकी से जो डरै वो राजपुत की सतांन नही..
हम शेर है दुनिया के शायद तुम्हे पहचान नही.. .
कान खुलकर सुन ले दुश्मन चेहरे का खोल बदलदेंगें...
ईतिहास की क्या हस्ती हम पुरा भुगोल बदल देगें....
राजपुत हु राजपुताना चाहता हुँ! फिर से सब को एक बनाना चाहता हु राज वापस अपना आए ना आए लेकिन अपनी ईज्जत वापस लाना चाहता हुँ!
जुड गये राजपुत तो शेर भी घबरायेगा अगर टुंट गये तो गीदड भी शताएगा
एक बनो नेक बनो
जय माँ जमवाय
जय माँ भवाँनी
वीर भोग्या वसुधंरा
जय राजपुताना
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