Skip to main content

तन-मन से है नारा मेरा , बोलो जय भवानी |

तन-मन से है नारा मेरा , बोलो जय भवानी |
धिक्कार है उन राजपूतों को ,खोदी जिन्होंने
अपनी जवानी ||
तन-मन से है नारा मेरा , बोलो जय भवानी |
कायर नही आज हम , दुनिया को यह
आज बतानी ||
हम जन रक्षक रहे सदा से , क्षात्र धर्म
का यह नारा है |
दुष्टों को हम मार भगाए , यही फर्ज
हमारा है ||
कठिनाइयों के बीहड़ पथो में , हमने
जीवन गुजारा है |
जन हित की रक्षा खातिर , दुश्मन
को ललकारा है ||
त्याग बलिदान के पुंज हम है , सबको यह बात
बतानी |
तन मन से है नारा मेरा , बोलो जय माँ भवानी

Comments

Popular posts from this blog

राजपूती दोहे

रा जा झुके, झुके मुग़ल मराठा, राजा झुके, झुके मुग़ल मराठा, झुक गगन सारा। सारे जहाँ के शीश झुके, पर झुका न कभी "सूरज" हमारा।। झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे ! झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे मोर...

राजपूती दोहे

•» ” दो दो मेला नित भरे, पूजे दो दो थोर॥ सर कटियो जिण थोर पर, धड जुझ्यो जिण थोर॥ ” मतलब :- •» एक राजपूत की समाधी पे दो दो जगह मेले लगते है, पहला जहाँ उसका सर कटा था और दूसरा जहाँ उसका ध...

वीरवर पाबूजी राठौड़ ॥

"रजवट रो थूं सेहरौ, सब सूरां सिरमौङ । धरती पर धाका पङै, रंग पाबू राठौड़ ।। "घोङो, जोङो, पागङी, मूछां तणी मरोड़ । ऐ पांचू ही राखली, रजपूती राठौड़ ।।