Skip to main content

किसका भला किया है दारू ने

किसका भला किया है दारू ने
बुद्धि का हरण किया है दारूने
पैसा का हरण किया है दारूने
झगड़ो को जन्म दिया है दारूने
बच्चों को रूलाया दारू ने
घरों को उजाड़ा हैं दारू ने

इंसान को हैवान बनाया है दारू ने
सीख लिया जिसने पीना दारू को
समझो किनारा आ गया है जीवन का
पहले लोग पीना सीखते हैं दारू को
फिर पीने लगती है दारू इंसान को
ए मूर्ख पीने वाले दारू को

कुछ सोचो समझो विचार करो
न बनाओ अपने बच्चों को अनाथ
दुनिया न देगी कभी उनका साथ
अभी समय है करो प्रतीज्ञा आज
न पियेगे न पिलायेगे कभी दारू आप

बहुत हो गया ये पिना पिलाना
मत मानो इसे मान मनवार
अब सिर्फ नफरत करो दारू से
हम राजपूतो ने बहुत कुछ खो दिया है इस दारू से
अब हमेंखोया हुआ स्वाभिमान पाना है।

Comments

Popular posts from this blog

राजपूती दोहे

रा जा झुके, झुके मुग़ल मराठा, राजा झुके, झुके मुग़ल मराठा, झुक गगन सारा। सारे जहाँ के शीश झुके, पर झुका न कभी "सूरज" हमारा।। झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे ! झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे मोर...

राजपूती दोहे

•» ” दो दो मेला नित भरे, पूजे दो दो थोर॥ सर कटियो जिण थोर पर, धड जुझ्यो जिण थोर॥ ” मतलब :- •» एक राजपूत की समाधी पे दो दो जगह मेले लगते है, पहला जहाँ उसका सर कटा था और दूसरा जहाँ उसका ध...

वीरवर पाबूजी राठौड़ ॥

"रजवट रो थूं सेहरौ, सब सूरां सिरमौङ । धरती पर धाका पङै, रंग पाबू राठौड़ ।। "घोङो, जोङो, पागङी, मूछां तणी मरोड़ । ऐ पांचू ही राखली, रजपूती राठौड़ ।।