किसका भला किया है दारू ने
बुद्धि का हरण किया है दारूने
पैसा का हरण किया है दारूने
झगड़ो को जन्म दिया है दारूने
बच्चों को रूलाया दारू ने
घरों को उजाड़ा हैं दारू ने
इंसान को हैवान बनाया है दारू ने
सीख लिया जिसने पीना दारू को
समझो किनारा आ गया है जीवन का
पहले लोग पीना सीखते हैं दारू को
फिर पीने लगती है दारू इंसान को
ए मूर्ख पीने वाले दारू को
कुछ सोचो समझो विचार करो
न बनाओ अपने बच्चों को अनाथ
दुनिया न देगी कभी उनका साथ
अभी समय है करो प्रतीज्ञा आज
न पियेगे न पिलायेगे कभी दारू आप
बहुत हो गया ये पिना पिलाना
मत मानो इसे मान मनवार
अब सिर्फ नफरत करो दारू से
हम राजपूतो ने बहुत कुछ खो दिया है इस दारू से
अब हमेंखोया हुआ स्वाभिमान पाना है।
रा जा झुके, झुके मुग़ल मराठा, राजा झुके, झुके मुग़ल मराठा, झुक गगन सारा। सारे जहाँ के शीश झुके, पर झुका न कभी "सूरज" हमारा।। झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे ! झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे मोर...
Comments
Post a Comment