सिर देणों रण खेत में, स्याम धर्म हित चाह |
सुत देणों मुख मौत में, इण धर रुड़ी राह ||
रण-क्षेत्र में अपना मस्तक अर्पित करना,स्वामी का हमेशा हित चिंतन करना व अपने पुत्रों को भी स्वधर्म पालन के लिए मौत के मुंह में धकेल देना इस राजस्थान की पावन धरती की परम्परा रही है ॥
सुत देणों मुख मौत में, इण धर रुड़ी राह ||
रण-क्षेत्र में अपना मस्तक अर्पित करना,स्वामी का हमेशा हित चिंतन करना व अपने पुत्रों को भी स्वधर्म पालन के लिए मौत के मुंह में धकेल देना इस राजस्थान की पावन धरती की परम्परा रही है ॥
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