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जय महाराणा प्रताप

वह पराधीनता की रजनी में गौरव का उजियाला था
जो चढ़ा मान सिंह के सिर पर राणा प्रताप का भाला था
बाप्पा रावल का वंशज वह, भारत गौरव का प्रतिमान
वह दृढ प्रतिज्ञ रण कुशल वीर, रखी राजपूती आन बाण
दुर्दम्य दैत्य अकबर का भी, पड़ गया सिंह से पला था
जो चढ़ा मान सिंह के सिर पर राणा प्रताप का भाला था
गौरव से फूली अरावली, हुई धन्य उदयपुर की माटी
राणा प्रताप की गरिमा के गुण गाती हैं हल्दी घाटी
करके कूदा जब सिंह नाद , बन गया वीर मतवाला था
जो चढ़ा मान सिंह के सिर पर राणा प्रताप का भाला था
मर जाने की मिट जाने की, सुख सुविधा की परवाह नहीं
निज स्वाभिमान जीवित रखा, बस और रखी कुछ चाह नहीं
जब देश झुक रहा था सारा, केसरिया केतु संभाला था
जो चढ़ा मान सिंह के सिर पर राणा प्रताप का भाला था
भामा शाह से मन प्राण मिले, हाकिम सूर नौजवान मिले
निज मातृभूमि की रक्षा हेतु , वनवासी सीना तान मिले
प्राणों का मूल्य चुकाया था, अद्भुत बलिदानी झाला था
जो चढ़ा मान सिंह के सिर पर राणा प्रताप का भाला था
वह राष्ट्र भक्ति से प्रेरित हो, अड़ गया सिंह सा कर गर्जन
मदभरी सल्तनत का जिससे पग-पग पर किया मान मर्दन
अणदाग गया नहीं झुकी पाग, बलिदानी भाव निराला था
जो चढ़ा मान सिंह के सिर पर राणा प्रताप का भाला था
!! जय जय महाराणा !!

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