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Showing posts from March, 2015

रँग रै राजस्थान दूहा

माण काज मरणौ मँडै,जँग हद जुङै जवान रजवट रीत रुखाळणा रँग रे राजस्थान!!1!! कटै वीर धर कारणै प्रण सट्टै दै प्राण ऐङा नर उपनै अठै रँग रै राजस्थान!!2!! नर नैकी चूकै नही बौलण एकी बाण दैखी ...

क्षत्रिय/राजपूतों के लिए ध्यान में रखने योग्य कुछ बातें:

१- अपने पूर्वजों का सम्मान करें तथा अपने बच्चों को पूर्वजों की कथाओं/गुणों से परिचित कराएँ. २- अपने-अपने घरों में महाभारत,गीता,रामायण एवं महापुरुषों से सम्बंधित गाथाएं आदि ...

जागो क्षत्रियों जागो.........

अपने हक पर मौन रहने वाला सदा ही रोया है !! राजवंशो की उदारता ने ही, आज अपने रजवाडों को खोया है !! हे क्षत्रिय तू तोड़ दे ये मौन, चाहे संविधान भी विरूद्ध हो !! कि अब क्षत्रिय हित के लिए ...

राजपूतों की ऐसी कहानी

राजपूतों की ऐसी कहानी है , कि राजपूत ही राजपूत कि निशानी है l हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे पास था ll हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं , l हमारी गर्जना ...

हमे परमात्मा ने क्षत्रिय क्यो बनाया !!!

पढियेँ ! जब जब धरती पे बढा है पापो का भार । क्षत्रियो ने उठाई है तलवार। रावण का जब बढ गया था अँहकार। तो राम ने लिया था क्षत्रिय कुल मेँ अवतार। जब बहूत मारा था लोगो को पापी कँस ने...

मेरा राजपुताना

पुत्र मैं माँ भवानी का,मुझ पर किसका जोर....काट दूंगा हर वो सर,जो उठा मेरे राजपुताना की ओर....!! जय राजपुताना जय क्षात्र धर्म                        सच्चा क्षत्रिय !!          "शीश कट ध...

दारूरा दुरगण दोहा

दारूरा दुरगण( शराब से होने वाले नुकसान को दोहों में लिखा गया है) ये शराब हमे कंहा से कंहा ले आयी।क्या थे और क्या रह गए। वास्तव में हमारी समाज की दुर्गति का एक कारण शराब भी है। इ...

वजूद राजपूत का

जिन्दगी मे आकर नाम कमाना गजब की बात है .. फिर उस नाम को बरकरार रखना कमाल की बात है..... लेकिन उस नाम को ‪#‎इतिहास‬ बनाकर रख जाना बस हमारी बात है ....।

कविता: हल्दी घाटी का रण

आओ वीरोँ और वीरांगनाओ! कराता हुँ तुम्हे सैर हल्दिघाटी की!! जहाँ आह निकले तुर्को के मुँह से! वहाँ वाह निकली वीरो के मुख से!! सन 1574 मे छेडी राणा उदय सिँहजी ने जंग! किया तुर्को को दंग!! हुई अकबर की नीँद भंग! जब खडे हुए सहासी राजपूत वीर राणा के संग!! 1576 मे शुरु हुआ, हल्दिघाटी मे रण! राजा मान जीत लेगा ये जंग, था अकबर को ऐसा भ्रम!! न आया वो तुर्क रण, डरता था वो प्रताप से जम! जब राणा ने चलाया भाला, चेतक को जब राणा ने उछाला!! राजा मान जा दुबका, महावत का शीष कटा!! उछाल मे लगा, चेतक के पग मे घाव! न रुका वो सहकर घाव, छाया राणा के मुख पर एक गहरा भाव!! राणा को निकला जब चेतक रण से, तब किया पिछा मुल्तान और खुरासण ने! तब आए शक्ती सिँह महाराज, दिया मुल्तान और खुरासण को आघाज!! जब त्यागे चेतक ने अपने प्राण, नही रहा राणा को भान! ऐसा था वो हल्दीघाटी का रण महान, जिसने बढाई राजपुताना की शान!! कवी 'अक्षय' करे वीरो को नमन, निकल जाएगा रण की तारीफ मे उसका यौवन! पर न होगा खत्म हल्दीघाटी का रण!! पर न होगा खत्म हल्दीघाटी का रण!! :- 'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँ...

मेरे प्रभु (कविता)

मै नही जानती तेरे सारे रूपों को हर वास्तु में विद्यमान आप है प्रभु मिटटी से बने इस नश्वर तन को ज्ञान की गंगा में डुबा दो प्रभु झूठे जग के ,झूठे रिश्ते- नातो में कितना फँसाओगे ...

हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै.........!

हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै, सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै! है दिल मेरा दरीया सा, जिसपर है अनेक घाव! तकलीफ जब होती है तुझको, अपने आप बदलते है मेरे भाव! तेरे गौरव का है मुझे अभिमान बडा, तेरी रक्षा हेतु हुँ मै क्षितिज पर खडा! हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै, सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै! आज ये क्या हो रहा? माँ रोती रही और बेटा सो रहा! माँ कराहती रही और बेटा गाता रहा, लगता है नही आज कोई माँ बेटे का नाता रहा! हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै, सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै! हुँ मै वतन का रखवाला, हरदम हरपल उठती है मेरे सीने मे विप्लव की ज्वाला! संसद मे लुट रही माँ की ईज्जत, लगता है छोड दी है, आज बेटे ने लज्जत! महफिल मे आज मै गुँगा बहरा गा रहा, नही है किसी के पास वक्त जो कोई मेरी बात को सून पा रहा! याद कर उन वीरोँ को, तोड दो भारत माँ की जंजीरोँ को! हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै, सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै! :-'अक्षय'कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'

राजपूत गौरव कविता !!

बडे जतन से पाया, महा पुण्य का फल साथी , ये महा तपोँ की छाया, मातृभूमी की रक्षा का, सतयुग से भार उठाए, तुमने भारत की सेवा मे, मुँडो के माल चढाए. तुम्ही ने बनकर भीष्म, सदा काँटो को हृद...

राजपूती ध्वज

रणचंडी मुझे आशिष दे, अरी दल को मार भगाऊँ मै, भारती का वीर सपूत बनु मै, अरी कोखोँ को दहलाऊँ मै, पग पग रीपु का जमघट हो, ईसका काल कहाउ मै, जहाँ गद्दारोँ की ध्वजा गडी, वहाँ राजपूती ध्व...

हाँ मैं क्षत्रिय हूँ

हाँ मैं क्षत्रिय हूँ हाँ ! में हूँ, इस धरोहर का उत्तराधिकारी ! सींचा था मेरे पुरखों ने जिसे अपने ही रक्त से. और ! बचाकर रखा था जिसे, लिखकर "क्षत्रिय" धरा पे, दुश्मन के रक्त से . में ...

राजपूतों की ''ज्वाला''

राजपूतों की ''ज्वाला'' कभी ठंडी नहीं होती, अदम्य शूरवीरों की यही तो पहचान है होती,, यदि यह ''ज्वाला'' राजपूतों में न होती, तो भारत के इतिहास में ना होते अनमोल मोती, राजपूतों की आन-बा...

राजपुताना शान

राजपुताना शान जान से प्यारा है, बुलंद  कर ये संस्कार , जीने की राह हो प्रसस्त, कर सपथ कर सपथ  कर सपथ !! चल पडे जिधर होके  प्रचंड , मस्त वीरों का झुण्ड ,  सीने में आग है , सामने तूफान है ...

जागो राजपूत वीरों

कब तलक सोये रहोगे,सोने से क्या हासिल हुआ, व्यर्थ अपने वक्त को खोने से क्या हासिल हुआ,, शान और शौकत हमारी जो कमाई ''वीरों'' ने वो जा रही, अब सिर्फ बैठे रहने से क्या हासिल हुआ,, सोती हु...

वक़्त की आवाज़

राजपूतों तुम तक़दीर हो, कल के हिंदुस्तान की, प्रताप के अरमान की, वीर कुंवर के बलिदान की, देश तो आजाद हुआ, पर पूरे नहीं हुए वो सपने, लुटेरे देश को लूट रहे हैं, खजाने भर रहे अपने, अब ...

वीर राजपूत

वीर!! वीर चल चले लडने, रणभूमी मे दुश्मन से भिडने! अपने शौर्य के दम पर, चल तु हरदम विजयपथ पर! शुर है जो,वो ईतिहास मे अमर है, कर तु भी कुछ के तेरा नाम अमर रहे! जग को पुन:, सुसज्जित कर दे अप...

जन्म भूमी मेवाड़ की रक्षा के खातिर

इधर रणभेरी बजी उधर तलवारें चमकी धरती माँ की रक्षा में हर वीर की बाहें फडकी वीरांगनाओं ने कमर कसी चेहरे पर भय का भाव नहीं कर्तव्य की बली वेदी पर चढ़ने कोहर जान तैयार खडी क्य...

॥जय क्षत्रिय एकता॥

हम भूल गये हल्दीघाटी के उस घमाशाण को। हम भूल गये पन्ना धाय के उस बलिदान को। राणा साँगा ने तुर्को के अभीमान को तोङा था। चौहान ने अँधेपन मे भी गौरी का माथा फोङा था। हम भूल गये र...